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योग

                  योग का अर्थ



योग एक साधना है। हर मनुष्य के जीवन में साधना आवश्यक है। इसे  रोजमर्या के जीवन में शामिल करना चाहिए। योग का अर्थ होता है - जुड़ाव अर्थात आत्मा का परमात्मा से मिलना। योगासनों का प्रयोग प्राचीन समय से होता आ रहा है। हमारे ऋषि - महर्षियों ने इस प्रक्रिया से अपने मन और मस्तिष्क पर नियंत्रण पाया। इस प्रक्रिया में जीवात्मा का परमात्मा से मेल होता है तथा शरीर , मन और मस्तिष्क एक दूसरे से सामंजस्य स्थापित करते है।
योग



 इसकी साधना से प्राणी मुक्त अवस्था को प्राप्त करता है। जिसे मोक्ष भी कहते हैं। योग के द्वारा मनुष्य में सकारात्मकता का संचार होता है तथा बाह्य शक्ति ,पंच शक्ति तथा ऊर्जा शक्ति एक दूसरे के साथ तादात्म्य स्थपित करता हैं।



योग महर्षि पतंजलि की देन है। उन्होंने अष्टांगयोग नामक ग्रंथ की सर्जना की। इस ग्रंथ में महर्षि पतंजलि ने योग को आठ हिस्सों में विभक्त किया है-  यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि । प्राचीन काल के ऋषियों ने साधना के लिए कुछ इस प्रकार की प्रक्रिया का निर्माण किया। जिससे शरीर और मन तनाव मुक्त हो जाए तथा प्राणी के अंदर सकारात्मक विचारों का समावेश हो।

आइए  इनमें से योगासन और प्राणायाम पर विचार करें।

योगासन और प्राणायाम में अंतर


योगासन और प्राणायाम द्वारा शरीर के प्रत्येक ग्रंथियों में ऊर्जा का संचार होता है और स्वस्थ शरीर की प्राप्ति होती है। प्राणायाम का संबंध हमारी सांस से होता है जबकि योग का संबंध हमारे शरीर से होता है। दोनों ही प्रक्रियाओं से मन पर नियंत्रण किया जाता है तथा एक वस्तु पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

 योगासन का अर्थ

योगासन का अर्थ है कि कोई भी एक शारीरिक स्थिति जिसमें शरीर कुछ समय के लिए स्थिर रहता है वह योगासन या आसन कहलाता है। कहा भी गया है स्थिरम ,सुखम्  आसनम्। योगासन में साांस की गति सामान्य रूप से चलती रहती है। आसन में जाते समय सांस भरी जाती है और वापस आते समय सांसो की गति पर निर्देशानुसार ध्यान रखा जाता है। आसन की अवस्था में शरीर स्थिर रहता है। इस स्थिति में शरीर क्रियाशील नहीं होता और सांसों की गति सामान्य रहती है ।  
वृक्षासन

ताड़ासन

पादहस्तासन

प्राणायम क्या है ?

प्राणायाम से तात्पर्य है प्राण +आयाम , अर्थात प्राण - शक्ती को एक निश्चित आयाम तक पहुंचाना ही प्राणायाम कहलाता है। जिससे  प्राण को शक्ति मिले वैसी साधना ही प्राणायाम है । इसके माध्यम से मस्तिष्क में हो रहे उच्चावचन को शांत किया जाता है। इस क्रिया में लंबी गहरी सांस अंदर ले जाती है तथा कुछ पल के लिए इसे रोककर वापस बाहर की ओर छोड़ दी जाती है। प्राणायाम से एकाग्रता में वृद्धि होती है ।

योग के फायदे

योग की महिमा अत्यंत व्यापक है। योग करने से हमारे अंदर की ऊर्जा जो नकारात्मकता की ओर जा रही होती है वह सकारात्मकता की ओर मुड़ जाती है और जो तामसिक और राजसिक विकृतियां हमारे अंदर होती है उनका मुख सात्विकता की ओर होने लगता है। योग करने से जीवन जीने की एक नई ऊर्जा, नई कला तथा नई दृष्टिकोण से हम परिचित होते हैं। योग के द्वारा गुणों का संचार होता है और अवगुण दूर होते हैं। इससे हम दिव्य संवेदनाओं , दिव्य सामर्थ्य तथा दिव्य शक्ति से युक्त होते हैं। योग की प्रक्रिया से रोगों से मुक्ति मिलती है। योग करने से भावनात्मक स्थिरता तथा मानसिक शांति प्राप्त होती है। सभी प्रकार के तनाव से मुक्ति मिलती हैं ।

योग उनके लिए अति उत्तम उपाय है जो लोग अपने मोटापे तथा बढ़ते वजन से परेशान है। यह इन सब समस्याओं से निजात दिलाता है। योग शरीर में एकत्रित Extra Fat से मुक्ति मिलती है। योग करने से पाचन तंत्र ठीक रहता है। कब्ज की शिकायत नहीं रहती।

योग करने से फेफड़ों से संबंधित रोगों में अधिक लाभ मिलता है। यह यादाश्त को बढ़ाता है तथा शरीर स्वस्थ रखता है। 

योग करने का समय

साधना ब्रह्ममुहूर्त यानी सूर्योदय से पहले करने से अत्यधिक लाभ मिलता है। योग का अभ्यास शांत और शुद्ध वातावरण में ही करना लाभप्रद होता है। इसे सूर्यास्त के ठीक बाद भी किया जा सकता है। परन्तु यह अधिक फायदेमंद नहीं होता है। सूर्योदय से पूर्व योग करने से शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। अनिंद्रा तथा समय पर भूख न लगने जैसी परेशानियों में भी फायदेमंद होता है। योग आपके जीवन को संतुलन बनाए रखने में कारगर सिद्ध होता है।
क्योंकि कहा जाता है कि मन का संतुलन होना ही योग है।
योगासन और प्राणायाम


 

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